Tuesday 25 February 2014

        कौन कौन कर सकते है? 

            रुद्राभिषेक पूजन ! 

  

रुद्राभिषेक एवं शिवार्चन महाशिव रात्रि के दिन करने के कौन कौन अधिकारी है? यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से समाज में उठ खड़ा होता है| जिसका उत्तर " शिव महापुराण " देखने के बाद प्राप्त हो जाता है| 

ब्राह्मणः क्षत्रियो वैश्यः शुद्रो वा प्रति लोमजः|पूजयेत सततं लिगं तत्त मन्त्रेण सादरम्|| किं बहुक्तेन मुनयः स्त्रीणामपि तथा न्यतः|अधिकारो अस्ति सर्वेषां शिव लिंगार्चने द्विजाः||

 अर्थात ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र वर्णशंकर  कोई भी, भगवान शिव लिंगार्चन- शिवार्चन- रुद्राभिषेक आदि वैदिक अनुष्ठान अन्य विधियों से महामृत्युंजय जाप सादर पूजन कर सकते है पूजन करने में स्त्रियो का भी अधिकार है| सौभाग्य कि प्राप्ति के लिए रुद्राभिषेक महाशिवरात्रि  को करना तो उत्तम है ही सुहागिन स्त्रियो को तो भगवान शिव का शिवार्चन अभिषेक अवश्य करना ही चाहिए|
विधवा स्त्रियो को पारद के शिव लिंग के पूजन का विधान है , पार्थिव पूजन नहीं करना चाहिए|
संसार में आशक्त रहने वाली  कलंक पूर्ण जीवन यापन करने वाली स्त्री  यदि  शिव जी का व्रत पूजन करना चाहती है वे स्त्रियां बिल्लौर के शिवलिंग का अभिषेक करे|
भगवान शिव जी ने सौर पुराण में कहा है शिवरात्रि के व्रत धारण किये हुए मेरे भक्त का चढ़ाया हुवा एक ही विल्व पात्र कोटि पापो का नाश करता है| भगवान शिव ने कहा है कि जो पुरुष श्रद्धा पूर्वक विल्व पत्र अर्पण करता है और शिव  पंचाक्षर मंत्र " ॐ नमः शिवाय "से विल्व पत्र चढ़ाता है वह  शिव लोक का निवासी हो कर सुख भोगता है|
गरुण पुराण में भगवान कहते है जो भक्त महाशिव रात्रि में मुझे कमल पुष्प एवं कनेर के पुष्प अर्पण करता है| उसे भगवान शिष्य रूप में ग्रहण करते है,अर्थात शंकर जी गुरु के रूप में मार्गदर्शन करते है|

 महाशिव रात्रि के दिन व्रत धारण करने वाले भक्त प्रातः काल उठ कर विभिन्न नियमो को धारण करे ।

१= प्रातः सायं एवं रात्रि तीनों समय भगवान शिव का विधिवत पूजन करे|
२=प्रातः काल पूर्व दिशा में बैठ कर पूजन करे एवं दस अर्ध परिक्रमा करे|
३= सायं काल में पश्चिमाभिमुख बैठ कर पूजन करे| मद्ध्यायन में बारह परिक्रमा करे|
४= रात्रि में उत्तराभिमुख बैठ कर पूजन करे| ग्यारह परिक्रमा करे|
५=ध्यान रखियेगा भगवान शिव की परिक्रमा आधी होती है अर्घा लांघना निषेध है|
६=रात्रि में भगवान शिव का जगराता अवश्य करे
७=प्रसाद में पंचमेवा मिश्री ,सवाया पेंडा,पांच प्रकार के मौसमी फल अर्पण करे|
८=शिव जी को अर्पण किये गए प्रसाद को महा प्रसाद जान कर अवश्य खाइये| शिव प्रसाद नहीं खाना चाहिए| ये तथ्य यहाँ लागू नहीं है|


कुछ भक्तो में ये भ्रान्ति होती है कि शिव जी के प्रसाद को सभी को नहीं खाना चाहिए|
देवस्व ,देव द्रव्य , नैवेद्य ,निवेदित , चण्ड द्रव्य और बाहर फेका हुआ पुष्प ,पत्रादि ये छः  प्रकार के निर्माल्य है| देवता, धन, ग्राम, दासी, दास, और सुवर्ण- चांदी- रत्न ये देव द्रव्य कहलाते है देव द्रव्य को साधारण पुरुषो को ग्रहण करने से घोर नरक कि प्राप्ति होती है और कष्ट भोगते है| देवताओ के निमित्त जो फल पुष्प पत्र अन्न दुग्ध, संकल्प  कर दिया जाता है वह नैवेद्य है| माला चंदन अन्न पान  आदि निवेदित कहे गए है ये अवश्य ग्रहण करना चाहिए समस्त सुखो को प्रदान करने वाला होता है पापो को नष्ट करने वाले प्रसाद को ग्रहण करना अनिवार्य होता है|
महा शिव रात्रि के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने वाले व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रह जाता है|
                              अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क कर सकते है              
                                                                                            आचार्य विमल त्रिपाठी
    26/02/2014                                                                             ९३३५७१०१४४